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Dilkhush Kumar : रिक्शा चलाने से लेकर 5000 कारों का नेटवर्क तक का सफर।

Dilkhush Kumar Journey.

Dilkhush Kumar

Published on : 23 जनवरी 2024, 12:30 PM ; Updated on : 15 फरवरी 2024

Dilkhush Kumar की कहानी समान्य लोग जैसी नहीं हैं लेकिन इनका सफर लोगों को सहनशीलता, मेहनत, और दृढ़ संकल्प के लिए प्रेरित करता हैं । कभी एक रिक्शा चलाने वाला तो कभी सब्जी विक्रेता तो कभी सिक्योरिटी गार्ड में भी रिजेक्शन से लेकर उनके रोडबेज कंपनी के संस्थापक और सीईओ बनने तक, उनका सफर कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत देता हैं और लोगों को कुछ कर गुजरने के लिए आत्मविश्वास का बल देता हैं।

कहाँ से हुई शुरुआत

दिलखुश कुमार बिहार के सहरसा जिले के एक छोटे से गाँव के निवासी हैं। उन्होंने केवल कक्षा 12 तक की ही शिक्षा पूरी की और अपना कुछ खुद करने का इरादा किया। कई नौकरी के साक्षात्कारों से असफल होने के बाद, दिलखुश ने बिहार में टैक्सी सेवा शुरू करने का निर्णय लिया। जिसमे उनकी टैक्सी सेवा कंपनी ‘RodBez‘ उबर या ओला की तरह नहीं, बल्कि यह एक डेटाबेस कंपनी है जो ग्राहकों को 50 किलोमीटर से अधिक की बाहरी यात्रा के लिए टैक्सी चालकों से जोड़ती है।

कभी उन्होंने एक रिक्शा चलाने वाला, तो कभी सब्जी विक्रेता तो कभी सिक्योरिटी गार्ड में भी रिजेक्शन का दर्द झेला लेकिन आज उनके कंपनी में IIM के लोग नौकरी कर रहे हैं।

संघर्ष से विजय यात्रा 

दिलखुश का सफर आसान नहीं था। वे दिल्ली में रिक्शावाला थे और पटना की सड़कों पर सब्जी बेचते थे। जब उन्होंने एक गार्ड के रूप में नौकरी के लिए साक्षात्कार दिया, तो उन्हें कस्मस्वरूप में अशिक्षित मानकर रिजेक्ट किया गया। हालांकि, उन्होंने कभी हार नहीं मानी क्योंकि उनके कंधे पैर अपने परिवार का भार जो था। दिलखुश ने अपने पिताजी से गाड़ी चलाना सीखा, जो बस चालक हुआ करते थे। धन की कमी के कारण उन्होंने केवल कक्षा 12 तक की शिक्षा पूरी कर सकी और पैसे कमाने के लिए ड्राइविंग करना शुरू कर दिया।

कुछ बड़ा करने का आत्मविश्वास 

कुछ दिन गाड़ी चलाने के बाद दिलखुश ने कुछ बड़ा करने की ठानी और फिर क्या कड़ी मेहनत के बाद अपना एक स्टार्टअप शुरू किया जिसका नाम था ”रोडबेज” जो एक सेकंड-हैंड टाटा नैनो के साथ शुरू हुई । रोडबेज के शुरू करने के कुछ दिन बाद उन्होंने एक सलाहकार की मदद ली जिनका नाम था अरविंद झा जो बिहार के मधुबनी जिला के निवासी हैं। उसके बाद केवल 6-7 महीने बाद ही दिलखुश और उनकी टीम ने 4 करोड़ रुपए के फंड जुटा लिया।

दिलखुश कुमार लेफ्ट और अरविन्द झा सेकेंड लेफ्ट।

वर्तमान में, कंपनी पहले चरण में पटना, दरभंगा से लेकर 60% बिहार में अपनी सेवाएँ दे रही हैं ।

जनता की क्या हैं राय

इनकी सुविधा प्रदान करने के तरीके कारण लोगों में बहुत अच्छा रिस्पांस देखा जा रहा हैं जिसको देखते हुए Dilkhush Kumar ने फैसला लिया हैं की अब उनका प्लान आने वाले कुछ महीनों में पुरे बिहार को जोड़ना हैं

हाल ही में इन्होने शार्क टैंक ( Shark Tank ) के शो में भी फण्ड जुटाने के लिए शार्क को अपना प्रेजेंटेशन दिया था जिसके बाद उन्हें OYO के फाउंडर रितेश अग्रवाल के द्वारा उनके चेक प्रदान की गयी थी और आगे दिलखुश ने कहा था की अब पुरे बिहार में इस बिज़नेस का जाल बिछाना हैं। शार्क टैंक के बात उनके बिज़नेस में उछाल देखा गया हैं और उनको बार के कोने-कोने से सर्विसेज के लिए कॉल आने लगी हैं।

कार चालकों के जीवन को समझना 

रोडबेज का सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि Dilkhush Kumar जो खुद ड्राइवर से शुरुआत किये थे इसीलिए वो ड्राइवर्स के जीवन को समझते हैं और कंपनी उन्हें दूसरे कंपनी के मुकाबले अच्छी सैलरी देती हैं, जैसा की वो बताते हैं की हर महीने चालक के साथ 45,000 रूपये और बिना चालक के साथ 25,000 रूपये दिया जाता हैं।

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